Monday, June 20, 2016



Many of you must have played with the Rubik's cube, if not, then all of you must have seen it. We learn various tricks while solving it. Have you ever wondered about the things Rubik's cube teach us! So presenting here are 

TEACHINGS OF   THRUBIK's CUB

  • Rubik's cube can be considered as life, the catchy colors of the cube represent the illusions offered in the world.
  • They appear colorful and lively when you first see them, but once you start solving, you find yourself trapped in a maze.
  • There comes time, when you start giving all your attention to one issue (organizing one face), either you miss some of the other important things or you complicate them, while sometimes, focusing on one thing helps you accomplish the rest.All you require is a balance between all of them.
  • There is no particular method to solve the cube, likewise there is no mantra to lead a happy life. It certainly differs for people. No matter what the expert advice suggest, strive and find your own method.
  • If you go fast, you may be able to complete some of it (the cube), likewise in life taking shortcuts may offer you momentary happiness, which won't stay long, Choose hardship and perseverance, because solving the cube this way would complete it, likewise in life you will succeed.
  • All you perceive at the end is that life or Rubik's cube is all game of your patience, the more you panic the less it solves.
  • People who understand Rubik's cube often fail to understand life, but those who have understood life, never need to understand the cube.


Thursday, December 31, 2015

जाड़ा कहाँ रहता है ?
नन्ही सी मिनी ने माँ से पूछा,
“माँ नहाया नहीं जाता
पानी ठंडा हो गया है,
फटे है गाल, कंबल हैं भाय
गाजर-मटर का मौसम हो गया है |
शाम को जल्दी ढल जाय
सुबह को देरी से आय,
माँ, ये सूरज को क्या हो गया है?”

माँ हँसी बेटी के मासूम सवालों पर,

समझाया
“बिटिया रानी ,जाड़ा आ गया !”

मायूस मिनी कुछ समझ ना पाई

भोली आवाज़ में कुछ तुतलायी ;
“ माँ जाड़ा आ गया है ?
माँ जाड़ा कहाँ रहता है ?
क्या है वो टंकी के अंदर ,
या मेरे गालों के उपर ,
मटर के मीठे दानों में ,
या छुपा कंबल के भीतर?
माँ , आखिर ये जाड़ा कहाँ रहता है?”

पल भर सोचा, फिर मैनें कहा,

“कोहरा भरी थी वो काली रात
फटी चादर में लिपटे थे हाथ,
बिन छत, बिन हीटर रजाई
ठिठुरता बदन , कपकँपाती अंगराई!
सड़क किनारे , पैर पसारे
जाड़ा वहीं रहता हैं,
हाँ ! जाड़ा वहीं रहता है ||

Friday, December 18, 2015

सपनों को दौलत की जरुरत नहीं होती,
मन में विश्वास हो तो हर मुकाम आसान हैं , यही बताती है 
हौसलों की उड़ान
नदियों के पार कई गाँव देखें हैं,
छोटी आँखों में कई ख्वाब देखे हैंl

रसोई में रोशनी नहीं,धुँआ हैं,
पानी के लिए नल नहीं;
दस मील दूर बस एक कुआँ हैंl
घर हैं छोटा सा,परिवार बड़ा हैं,
छह इंसान, पांच जानवर;
और ठन्डे पानी के लिए बस एक घड़ा हैं l

पीठ पर बस्ते नहीं,पर आँखों में सपने हैं,
चाहत तो पढ़ने की हैं;
पर जो भूख से बिलख रहे वो भी तो अपने हैंl
पेंसिल तो नहीं थी,पर एक भट्टी हैं,
रोशनी वाला बल्ब  बनाते हैं;
लकड़ियाँ नहीं,सुलग रहीं ज़िन्दगी हैंl


फिर भी मुस्कुराते चेहरे आभाव में जीकर दिखा दिए,
दुखों का भर सर पर था;
खुद रहे अनपढ़ ,पर मुझे  कुछ सिखा दिएi
“जीने के लिए बस अपनों का साथ काफी हैं”,
अभी तो उनके सपने हैं;
और हौसलों की उड़ान अभी बाकी हैंl

नदियों के पार कई गाँव देखें हैं,
छोटी आँखों में कई ख्वाब देखे हैंl






Wednesday, December 2, 2015

            गठानें

अंगराइयों को सिसकियाँ दबोच लें,और
आँखें रुआंसी हो उठे,तो समझ लेना
दिल का कोई कोना टूटा है ,
कोई अपना सा रूठा बैठा है |

सूरज तो रोज़ निकलता है,
पर सुबह चमकती नहीं
फूल तो रंग-बिरंगे हैं,
पर बगिया महकती नहीं
शायद कुछ हमने कहा था, 
कुछ उसने सुना था ,
लग गयी अब कुछ गांठे हैं, 
जो सुलझती नहीं

रास्तों की दूरियाँ अब सिमटती नहीं
लम्हों की चुप्पियाँ अब गूंजती नहीं
गलतियां हुई है, उनसे भी ,हमसे भी
कुछ वो समझते नहीं, कुछ हम समझाते नहीं |

हर पन्ने पर जिंदगी नयी कहानी कहती है
पर पुराने सिक्को की खनक बरक़रार रहती है
कोई आता है, कोई चला जाता हैं
सांसे रूकती नहीं, जिंदगी थम जाती है
धूल लगे ज्ञान में भी दीमक लग जाते हैं
जैसे
देर तक लगी गठानें , या टूट जाती हैं ,
या रिश्ते तोड़ देती हैं|  

Tuesday, July 14, 2015

यादों के किस्से

यादों के किस्से
हर किसी के पास यादों का खज़ाना होता हैं | तो आइए चलते हैं यादों के शहर में और देखे क्या कुछ हैं यादों के पास हमारे लिए!!
 
मन के शहर में कई बक्से हैं
बक्सों में हैं यादों का खज़ाना
और हर खज़ाने के अपने किस्से हैं |

किसी ने माना किस्मत, इनके साथ जीना सीख लिया
पर कोई रहा कमज़ोर , आज भी इनमें जी रहा
पर सिकंदर बना वो,जिसने खुद संभलकर
यादों को भी जीना सीखा दिया |
हँस कर कहा , ए दोस्त, तू तन्हा हैं,
तेरे खजाने में खामोशी बड़ी हैं
जिन बातों में उलझा हैं तू
ये दुनिया उसे भूल चुकी हैं |

हाँ, नए सफ़र में मुश्किलें कई हैं
पर यहाँ उम्मीदों का पिटारा हैं
एक नयी रोशनी मुझे बुलाती हैं
चल दो-दो जाम लगाते हैं ,
बीती बातों ने किसको ख़ुशी दी हैं
कल को भुलाकर, एक नया कल बनाते है |

बक्सा तो तेरा फिर भरेगा,
खट्टी-मीठी कुछ यादों से
पर जब तक ज़िन्दगी मौके दे रही है
हारने के डर से, हम क्यों जीना छोड़ दे ||

Tuesday, March 17, 2015

वजूद


खुली आँखों से देखे सपनों की कहानी .....
दुनिया में अपने अस्तित्व की कहानी...... 



ये आसमान में टिमटिमाते सितारें’
सितारों की रौशनी की दमक चाहती हूँl
ये कल कल करके बहती नदियाँ,
पानी की बूंदों की चमक चाहती हूँl
ये पेड़ो की खिलखिलाती पत्तियां
पत्तों की हरियाली की खनक चाहती हूँl
ये मंदगति से चलती बयार
पवन की सोंधी सी भनक चाहती हूँl

मैं तलाश रही खुद को दुनिया में
हर टुकड़े में अपना वजूद चाहती हूँll

किताबों में लिखे हज़ारों किस्से
हर कहानी में अपना नाम चाहती हूँl
पत्थरों में रास्तें, रास्तों पर मंजिल
हर मंजिल पर अपना काम चाहती हूँl
दुनियां के लोग,हज़ारों चेहरे
हर चेहरे पर अपनी मुस्कान चाहती हूँl
दिलों में प्यार का दीप जलाकर
हर मन में अपनी पहचान चाहती हूँl
अपने सपनों के नील गगन में
होसलों के पंखों की उड़ान चाहती हूँl
ज़िन्दगी के इस कठिन सफ़र में
हर कदम पर अपना मकाम चाहती हूँl

मैं तलाश रही खुद को दुनिया में
हर टुकड़े में अपना वजूद चाहती हूँll



Thursday, March 5, 2015

मैंने देखा हैं !!

मेरे ज़िन्दगी से  कई सवाल हैं , पर ज़िन्दगी का एक ही जवाब है ," रुको नहीं !बस चलते जाओ,  क्यूंकि अगर रुके तो सवाल भी ख़त्म हो जायेंगे और जवाब भी |" ज़िन्दगी ठोकर मारती हैं तो सहारा भी देती हैं , मैंने देखा हैं !!

मैंने आँखों को सपने पिरोते देखा हैं ,
सपनों को हकीकत बनते देखा हैं,
उम्मीदों कि नाव पर सवार मांझी को
हर कश्ती पार लगाते देखा हैं |

मैंने देखा हैं ,
आशा की किरण का चमकना ,
बूंदों में मोती का बरसना ,
एक दीप का अन्धकार मिटाना,
देखा हैं मैंने ,
हर चेहरे का खिलखिलाना |

कुछ ख़्वाबों को टूटते देखा हैं,
आँखों से सपनों को बहते देखा हैं,
इस माया-नगरी के सौंदर्य में
हर इंसान को उलझते देखा हैं |

मैंने देखा हैं
असफलता का घिर आना,
फूलों का मुरझा जाना,
अमावस पर अँधेरा गहराना,
देखा है मैंने ,
चलती ज़िन्दगी का थम जाना |

पर मैंने देखा है,
लड़खड़ाते पावों का संभल जाना ,
सपनों का फिर बुना जाना ,
हर थमती हुई सांसों में
देखा है मैंने ,
एक नयी ज़िन्दगी का चहचहाना ||